नवम्बर 16, 2015

ग्रेट ब्रिटेन पाउंड/यूएस डॉलर –विदेशी मुद्रा बाजार में सबसे अधिक लोकप्रिय साधन हैं। इस जोड़े से लेनदेन की मात्रा तेजी से लगभग 12% हो रही है, तथा नकदीकरण के स्तर के रूप में मुद्राओं के वैश्विक अनुक्रम में GBP/USD तेजी से तीसरा स्थान ले रही है। व्यवसायियों में इसकी लोकप्रियता निर्धारित करने का अन्य कारक अल्पकालिक अवधि में भी ठोस लाभ कमाने के लिए अवसर प्रदान करने की इसकी उच्च परिवर्तनशीलता है।

हाल ही के वर्षों के आंकड़े इस जोड़े की आधारभूत कारकों के प्रति अत्यंत उच्च संवेदनशीलता दर्शाते हैं, जिसमें न केवल ब्रिटिश अर्थव्यस्था की स्थिति तथा बैंक ऑफ इंग्लैंड के निर्णयों पर आंकड़े शामिल हैं, बल्कि यूरोप और यूएसए के भी इसी प्रकार के आंकड़े शामिल हैं। ब्रिटिश पाउंड दर का उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव भी यूरोपियन अधिकारियों तथा उनके विदेशी साथियों के बयानों का कारण हो सकता है।

सबसे हाल की घटनाओं से उपरोक्त सिद्ध हो गया, जब मात्र दो दिनों के दौरान- 5 और 6 नवम्बर को, विदेशी मुद्रा के आधार पर, पाउंड अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 350.0 से अधिक लगभग तुरंत गिर गया।

निःसंदेह, यह 15 जनवरी, 2015 की तरह स्विस फ्रेंक की “काला गुरुवार” नहीं था, लेकिन फिर भी ऐसी परिवर्तनशीलता इसके बारे में बातचीत करने का एक गंभीर कारण है कि आगामी महीनों के दौरान पाउंड से क्या उम्मीद करना संभव है। इसी कारण से 5 नवम्बर को पहले से ही अपना नाम ब्रिटिश “सुपर-गुरुवार” के रूप में नाम मिल चुका है।

GBP/USD का EUR/USD के साथ सकारात्मक सहसंबंध तथा USD/CHF के साथ नकारात्मक सहसंबंध माना जाता है लेकिन यदि हम इन मुद्राओं के चार्टों पर एक नजर डालें, तो स्पष्ट हो जाएगा कि इस निर्भरता का लगातार अतिक्रमण हो रहा है, तथा यह दर्शा सकता है कि बैंक ऑफ इंग्लैंड अब और अधिक अतिरिक्त सहायक भूमिका नहीं निभाना चाहता है, तथा यह अकेले करने को प्राथमिकता देता है।

इसलिए, इस प्रतिष्ठित संस्था के प्रमुख मार्क कार्ने को इस ग्रीष्म काल में मौद्रिक नीति के लक्षित आंकड़ों वाले बाजार से सचमुच हैरानी हुई।

अब बैंक की ब्याज दर अत्यंत निम्न स्तर- 0.5% पर है, तथा इसकी व्यापक रूप से उम्मीद की जाती थी कि ब्रिटिश अर्थव्यवस्था के आंकड़ों के सुधार से यह बढ़ेगी।

आर्थिक विकास की मौजूदा दरों (देश की GDP में पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही में 0.7% की बढ़ोत्तरी हुई) पर विचार करके, बहुत से विशेषज्ञों का मानना है कि बैंक ऑफ इंग्लैंड को 2016 से पहले उल्लेखनीय रूप से दर को बढ़ाना चाहिए, लेकिन ब्लूमबर्ग एजेंसी के साथ एक साक्षात्कार में एम.कार्ने मे कहा कि ऐसा कदम असामयिक होगा।

NordFX ब्रोकर कंपनी के अग्रणी विश्लेषक जॉन गॉर्डन ने कहा, “देश की GDP विकास के लिए पूर्वानुमान डाउनग्रेड किए गए थे। मुद्रास्फीति दर के पूर्वानुमान भी बदल गए, तथा अब बैंक ऑफ इंग्लैंड विचार कर रहा है कि 2% की लक्ष्य दर 2016 में नहीं, बल्कि 2017 में हासिल कर ली जाएगी। यह वह कारण है जिससे बाजार को निराशा हुई, जिसने निश्चय कर लिया कि बहु प्रतीक्षित दर में बढ़ोत्तरी में एक वर्ष. तथा इससे भी अधिक विलंब हो सकता है।”

उसी समय बहुत से विशेषज्ञ बैंक ऑफ इंग्लैंड की अपेक्षाओं को काफी निराशावादी मानते हैं। यूरोज़ोन के देशों, रूस और चीन की समस्याओं से, आर्थिक सूचकों के स्थायित्व के द्वारा धूमिस ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था विशिष्ट हो गयी है –GDP लगातार वर्षों में 2.5 बढ़ रही है, बेरोजगारी 2008 से अपने निम्न स्तर पर पहुंच गयी, मजदूरी स्तर पिछले 6 वर्षों में सर्वोच्च स्तर पर है। यहां तक कि प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने भी कहा कि विकास के वास्तविक सूचक सभी अपेक्षाओं से अधिक हैं, जोकि हमें आशावादी होने का कारण देते हैं। लेकिन...उसी समय दर 0.5% के स्तर पर अभी भी बनी हुई है जिसे काफी हद तक ग्रेट ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के बाहरी खतरों के खिलाफ रक्षा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। सबसे पहले, ग्रीस का ऋण संकट तथा चीनी आर्थिक विकास की मंदी उनमें हैं। निःसंदेह, तेल की कीमत का स्टर्लिंग दर पर अपना प्रभाव है।

“सुपर-गुरुवार” के परिणाम के रूप में, ड्यूट्च बैंक के विशेषज्ञों ने पहले ही क्लाइंट्स को मार्च में लंबी स्थितियों में पाउंड/डॉलर पर तथा अल्प स्थितियों में यूरो/पाउंड पर लाभ निश्चित करने की सिफारिश की है। जर्मन बैंकर्स के अनुसार, बैंक ऑफ इंग्लैंड की मौद्रिक नीति समिति ने स्पष्ट संकेत दिया है कि हमें 2016 के पूर्वार्ध के दौरान दर में बढ़ोत्तरी की उम्मीद नहीं करना चाहिए।

NordFX के जे. गॉर्डन ने कहा, “यह दिलचस्प है कि दो वर्ष पहले – नवम्बर, 2013 में, हम जानते थे कि बैंक ऑफ इंग्लैंड 2016 के उत्तरार्ध तक सामान्यीकरण की नीति शुरू करेगी। उसी समय इसके बारे में पहले से विवाद था कि कौन पहले छोड़ेगा और अपनी नीति बदलेगा –बैंक ऑफ इंग्लैंड या फेडरल। अंतिम बार फेडरल रिजर्व सिस्टम ने अपनी दर 2006 की ग्रीष्म में बढ़ाई थी। इस वर्ष अक्टूबर के अंत में य़ू.एस. फेडरल में एक बार फिर दर को छोड़ दिया और उसी निम्न स्तर पर बनाए रखा। लेकिन फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ सान फ्रांसिस्को के प्रमुख जे. विलियम्स ने 2015 के अंत तक दर में बढ़ोत्तरी को वर्जित नहीं किया।

अब तक ड्यूट्च बैंक उम्मीद करती है कि पाउंड/डॉलर दर 2016 के अंत तक गिर कर 1.2700 तक तथा 2017 के अंत तक 1.15 तक हो सकती है। जहां तक EUR/GBP का संबंध है, गोल्डमेन साच्स के विश्लेषक अभी भी मानते हैं कि यूरो तेजी से गिरेगा, तथा आगामी 12 महीनों के अंदर दर 0.65 के चिह्न तक पहुंच जाएगी।


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