जुलाई 20, 2024

आर्थिक संकेतक मौलिक विश्लेषण और मध्यकालिक और दीर्घकालिक रुझानों का पूर्वानुमान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, चाहे वह मुद्राओं से संबंधित हो या प्रमुख एक्सचेंज-ट्रेडेड कमोडिटी की कीमतों से संबंधित हो। कई संकेतकों में, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI), उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI), और क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) अपने महत्व और व्यापक इस्तेमाल के मामले में खास हैं। ये सूचकांक आर्थिक हालात के विभिन्न पहलुओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं, और समग्र रूप से ब्याज दरों और मौद्रिक नीति से संबंधित केंद्रीय बैंकों के निर्णयों पर सीधा असर डालते हैं। इसलिए, इन सूचकांकों को समझने से वित्तीय बाज़ार में काम करने वालों को अच्छी तरह से समझदारी भरा निर्णय लेने की सुविधा मिलती है, चाहे वह निवेश करना हो, ट्रेडिंग करना हो, या रणनीतिक योजना बनाना हो।

CPI – महंगाई का प्रमुख संकेतक

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) घरों द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बदलाव को मापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख आर्थिक संकेतकों में से एक है। यह एक निश्चित अवधि में वस्तुओं और सेवाओं की श्रृंखला के लिए कीमतों के हुए बदलाव के भारित औसत मूल्यांकन को दर्शाता है। इस प्रकार, CPI सूचकांक अर्थव्यवस्था में महंगाई के स्तर का आकलन करने के लिए प्रमुख मापदंडों में से एक है।

CPI की गणना करने में कई चरण शामिल हैं:

– एक आधार अवधि चुनना: कीमतों के लिए एक प्रारंभिक बिंदु स्थापित करना जिससे भविष्य की कीमतों की तुलना की जाएगी।

– वस्तुओं और सेवाओं की श्रृंखला चुनना: उन वस्तुओं और सेवाओं का सेट तय करना जिनका इस्तेमाल सूचकांक की गणना के लिए किया जाएगा। यह सेट घरेलू उपभोग की आदतों को दर्शाता है।

– वज़न के अनुसार कीमतें: औसत घरेलू व्यय में प्रत्येक वस्तु और सेवा के हिस्से के आधार पर उन्हें भार देना।

– कीमत का डेटा एकत्र करना: वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें विभिन्न स्रोतों से इकट्ठा की जाती हैं, जिनमें स्टोर, सुपरमार्केट, ऑनलाइन दुकानें, और अन्य आउटलेट शामिल हैं।

– सूचकांक की गणना करना: आधार अवधि की कीमतों से मौजूदा कीमतों की तुलना की जाती है, और इस तुलना के आधार पर CPI की गणना की जाती है।

CPI सूचकांक के प्रकार। CPI सूचकांक के कई प्रकार हैं, हर प्रकार की अपनी खूबियां हैं और इन्हें विभिन्न उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है:

– हेडलाइन CPI: उपभोक्ता श्रृंखला में शामिल सभी वस्तुओं और सेवाओं की लागत में बदलाव को दर्शाता है, जिसमें खाना, कपड़े, हाउसिंग, परिवहन, शिक्षा, हेल्थकेयर, मनोरंजन के खर्चे, और आबादी द्वारा उपभोग की जाने वाली कई अन्य वस्तुएं और सेवाएं शामिल हैं।

– कोर CPI: कीमत से संबंधित ज्यादा स्थिर और सटीक डायनेमिक देने के लिए खाना, ऊर्जा, सिगरेट और शराब जैसे अस्थिर घटकों को शामिल नहीं करता है। इस संकेतक का इस्तेमाल मुख्य मुद्रास्फीति को तय करने के लिए किया जाता है, जो दीर्घकालिक आर्थिक रुझानों का अधिक विश्वसनीय संकेतक है।

– शहरी उपभोक्ताओं के लिए CPI (CPI-U): सभी शहरी परिवारों के व्यय को कवर करता है।

– तनख़्वाहदार मजदूरों के लिए CPI (CPI-W): उन घरों के व्यय पर फोकस करता है जहां मुख्य आय उत्पादन  संबंधी कार्य से आती है।

वित्तीय बाज़ार के लिए CPI का महत्व। ट्रेडर्स और वित्तीय बाज़ार में काम करने वाले अन्य लोगों के लिए, CPI सूचकांक पर नज़र रखना काफी महत्वपूर्ण है। CPI मुद्रास्फीति का प्रमुख संकेतक है। इसलिए, फेडरल रिज़र्व (Fed), यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) और अन्य जैसे केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति से संबंधित निर्णय लेने के लिए CPI डेटा का इस्तेमाल करते हैं। किसी देश में बहुत ज्यादा महंगाई के कारण ब्याज दरों में वृद्धि हो सकती है, जिससे ऋण की लागत, सरकारी बांड के लाभ, और अन्य मुद्राओं के मुकाबले राष्ट्रीय मुद्रा की विनिमय दर पर असर पड़ सकता है। इस प्रकार, CPI संकेतक व्यापक मौलिक विश्लेषण के अनिवार्य घटक हैं, जिससे वित्तीय बाज़ार सहभागियों को समझदारी भरा निर्णय लेने और मौजूदा आर्थिक स्थिति के अनुसार अपनी रणनीतियों में बदलाव करने की सहूलियत मिलती है। ये संकेतक निवेशकों की रणनीतियों, जोखिम उठाने की क्षमता, और विभिन्न सुरक्षित-संपत्तियों में दिलचस्पी की संभावनाओं को प्रभावित करते हैं।

वित्तीय विश्लेषण में CPI, PPI और PMI सूचकांकों का इस्तेमाल1

PPI – महंगाई का अग्रणी संकेतक

उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI) राष्ट्रीय उत्पादकों द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बदलाव को मापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों में से एक है। PPI महंगाई का एक अग्रणी संकेतक है क्योंकि उत्पादन-स्तर की कीमतों में बदलाव अक्सर उपभोक्ता-स्तर की कीमतों (CPI) में बदलाव से पहले होता है।

PPI की गणना में कई प्रमुख चरण शामिल हैं:

– एक आधार अवधि चुनना: कीमतों के लिए एक प्रारंभिक बिंदु स्थापित करना जिससे भविष्य की कीमतों की तुलना की जाएगी।

– वस्तुओं और सेवाओं का सेट चुनना: अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की श्रृंखला तय करना।

– वज़न के अनुसार कीमतें: उत्पादन में हर वस्तु और सेवा के हिस्से के आधार पर उन्हें भार देना।

– कीमत का डेटा एकत्र करना: वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें विभिन्न उद्यमियों और उत्पादकों से इकट्ठा की जाती हैं।

– सूचकांक की गणना करना: आधार अवधि की कीमतों से मौजूदा कीमतों की तुलना की जाती है, और इस तुलना के आधार पर PPI की गणना की जाती है।

PPI सूचकांक के प्रकार। PPI सूचकांक के कई प्रकार हैं, हर प्रकार का इस्तेमाल अलग-अलग उद्देश्यों के लिए किया जाता है और इसकी अपनी खूबियां होती हैं:

– ऑल कमोडिटी PPI: इसमें अर्थव्यवस्था में उत्पादित सभी वस्तुएं और सेवाएं शामिल हैं।

– इंटरमीडिएट गुड्स PPI: उत्पादन प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं पर फोकस करता है, लेकिन अंतिम उपभोग के लिए प्रायोजित नहीं।

– रॉ मटीरियल PPI: मुख्य कच्चे माल की कीमतों में बदलाव को दर्शाता है।

– फिनिस्ड गुड्स PPI: उपभोक्ताओं के लिए बिक्री हेतु तैयार उत्पादों की कीमतों में बदलाव को मापता है।

CPI की तरह, PPI वित्तीय बाज़ार का विश्लेषण करने और मध्यकालिक और दीर्घकालिक ट्रेडिंग रणनीतियों को विकसित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है, PPI एक प्रमुख संकेतक है और इसका उपयोग उपभोक्ता मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जाता है। इसलिए, केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति निर्णय लेते समय इसका सक्रिय रूप से इस्तेमाल किया जाता है। PPI डेटा स्टॉक और कमोडिटी मार्केट्स में निवेशकों और ट्रेडर्स के लिए भी बहुत उपयोगी है, क्योंकि इससे उन्हें कंपनियों की उत्पादन लागतों में बदलाव का आकलन करने में मदद मिलती है, जो उनकी लाभप्रदता और प्रतिस्पर्धा का विश्लेषण करने के लिए महत्वपूर्ण है।

PMI – मौजूदा और भविष्य की अर्थव्यवस्था का आकलन

क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) एक अन्य महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतक है। इसका इस्तेमाल किसी देश या किसी संघ, उदाहरण के लिए, यूरोज़ोन देशों की अर्थव्यवस्था के विनिर्माण और सेवा सेक्टर्स में मौजूदा हालात का आकलन करने और भविष्य की गतिविधि का पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जाता है। PMI क्रय प्रबंधकों के सर्वे पर आधारित है और नए ऑर्डर, उत्पादन, रोज़गार, डिलीवरी और इन्वेंट्री जैसे क्षेत्रों में बदलाव को दर्शाता है।

PMI की गणना इस तरह से की जाती है: कंपनियों के क्रय प्रबंधक व्यावसाय के मौजूदा हालातों के बारे में सवालों के जवाब देते हैं। ये सवाल नए ऑर्डर की मात्रा, उत्पादन स्तर, रोज़गार, डिलीवरी समय और इन्वेंट्री वॉल्यूम जैसे पहलुओं से संबंधित हैं। फिर प्रतिक्रियाओं को संसाधित किया जाता है और सूचकांक मूल्यों में बदल दिया जाता है। हर पहलू को उसके महत्व के आधार पर एक भार दिया जाता है। PMI मूल्य की गणना सभी पहलुओं के मूल्यों के भारित औसत के रूप में की जाती है। 50.0 से ऊपर का मूल्य सकारात्मक माना जाता है और गतिविधि में वृद्धि को दर्शाता है, जबकि 50.0 से नीचे का मूल्य नकारात्मक होता है और अर्थव्यवस्था में गिरावट को दर्शाता है।

PMI सूचकांक के प्रकार। PMI सूचकांक कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से हर एक का इस्तेमाल अलग-अलग उद्देश्यों के लिए किया जाता है और उनकी अपनी खूबियां होती हैं:

– मैनुफैक्चरिंग PMI: विनिर्माण सेक्टर में व्यावसायिक गतिविधि की स्थिति को दर्शाता है।

– सर्विसेज़ PMI: सेवा सेक्टर में व्यावसायिक गतिविधि का आकलन करता है।

– कम्पोज़िट PMI: इसमें विनिर्माण और सेवा दोनों सेक्टर के डेटा शामिल हैं, जिससे आर्थिक गतिविधि का समग्र अनुमान मिलता है।

वित्तीय बाज़ार के लिए PMI का महत्व। ट्रेडर्स और वित्तीय बाज़ार में काम करने वाले अन्य लोगों के लिए, PMI सूचकांक पर नज़र रखना कई कारणों से महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, PMI एक प्रमुख संकेतक है जो अर्थव्यवस्था की भावी स्थिति के बारे में जानकारी देता है। सूचकांक में वृद्धि आर्थिक गतिविधि में विस्तार को दर्शाता है, जबकि इसमें गिरावट आर्थिक गतिविधि में संकुचन की ओर इशारा करता है। केंद्रीय बैंक और सरकारी प्राधिकरण अर्थव्यवस्था की मौजूदा और भावी स्थितियों का आकलन करने और मौद्रिक नीति पर निर्णय लेने के लिए CPI और PPI के साथ PMI डेटा का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा, PMI पर नज़र रखने से वित्तीय बाज़ार में काम करने वाले लोगों को मौजूदा और अपेक्षित आर्थिक स्थितियों के आधार पर समझदारी भरा निर्णय लेने और अपनी रणनीतियों में बदलाव करने की अनुमति मिलती है। उदाहरण के लिए, मैन्युफैक्चरिंग PMI में वृद्धि से उत्पादन करने वाली कंपनियों के शेयर्स में दिलचस्पी बढ़ सकती है, जबकि गिरावट निवेशकों को सुरक्षित मानी जाने वाली परिसंपत्तियों की ओर प्रेरित कर सकती है।

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निस्संदेह, उपर्युक्त हर सूचकांक अपने आप में महत्वपूर्ण और फायदेमंद है। हालांकि, इनका संयुक्त रूप से इस्तेमाल करने से, ये मध्यकालिक और दीर्घकालिक रुझानों का अधिक सटीक पूर्वानुमान करने में ट्रेडर्स और निवेशकों की मदद करते हैं, उनके काम की लाभप्रदता बढ़ाते हैं, और वित्तीय जोखिम कम करते हैं।

इसके अलावा, आर्थिक संकेतक की रीडिंग्स केंद्रीय बैंक के निर्णयों का पूर्वानुमान करने में मदद करते हैं, जिसका इस्तेमाल इन नियामकों की बैठकों से ठीक पहले और उसके बाद अल्पकालिक ट्रेडिंग में प्रभावी रूप से किया जा सकता है। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि इन मेट्रिक्स का फायदा न केवल मुद्रा, स्टॉक और कमोडिटी के ट्रेडर्स को मिलता है, बल्कि क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में निवेश और ट्रेड करने वाले लोगों को भी मिलता है। उदाहरण के लिए, यूएस में आर्थिक स्थिति और Fed की कार्रवाइयों का मार्केट में काम करने वाले लोगों के निवेश और जोखिम की क्षमता पर दमदार प्रभाव पड़ता है, जो बदले में डिजिटल एसेट्स मार्केट में उतार-चढ़ाव का कारण बनता है। इस प्रकार, यह यकीन से कहा जा सकता है कि CPI, PPI और PMI को समझना सफल निवेश और ट्रेडिंग निर्णयों और रणनीतियों की कुंजी है।


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